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अंधविश्वास या ज्योतिषीय आधार

न्यता या परंपरा प्रत्येक संस्कृति और धर्म का हिस्सा है जिसका पालन उस संस्कृति या धर्म के लोग करते हैं। मान्यता या परंपरा के शुरू होने के पीछे कोई न कोई कारण होता है वो कारण डर हो सकता है या लालच। हिन्दू धर्म में भी कुछ ऐसी मान्यताओं को अपशकुन या अंधविश्वास का नाम दे दिया गया है

ये सृष्टि अनगिनत ऊर्जाओं का भंडार है, इनमें से कुछ नकारत्मक ऊर्जा हैं जो हानि देती हैं और कुछ सकारात्मक ऊर्जा लाभ देती हैं। हानि का डर अपशकुन और लाभ का लालच शकुन है।

आधा अधूरा जानकारी हमेशा खराब होती है। जब कुछ मान्यताओं के शुरू होने के कारण की सही जानकारी नहीं होती तो वह अंधविश्वास मानकर झुठला दी जाती है। उनको न मानने से लाभ की अपेक्षा नुकसान की ज्यादा संभावना रहती है। जबकि उनको जानकर उनका उपाय कर लेने से नुकसान को लाभ में बदला जा सकता है।

ज्योतिषशास्त्र भारत की प्राचीन विद्या है। अपशकुन और शकुन को जानने के विषय में ज्योतिषशास्त्र में एक अलग शाखा शकुन शास्त्र है। जिसके माध्यम से बहुत से शकुन-अपशकुन को जाना जा सकता है

ज्योतिषशास्त्र में नौ ग्रह हैं और सभी ग्रह किसी न किसी दिन वस्तु जगह जीव और जीव के अंगों के और उनसे क्रिया कलापों के कारक है।प्रत्येक में किसी न किसी ग्रह की ऊर्जा है, कह सकते हैं कि पूरी सृष्टि इन नौ ग्रहों से बनी है। इस प्रकार शकुन और अपशकुन भी इन नौ ग्रहों की ऊर्जा का हिस्सा है।

ऐसे ही कुछ अपशकुन की चर्चा करते हैं और उनके पीछे के ज्योतिषी कारणों को समझते हैं।

1, बिल्ली का रास्ता काटना एक अपशकुन माना जाता है। अगर बिल्ली रास्ता काट जाए तो काम नहीं बनता इसके पीछे केतु देव की ऊर्जा है केतु अधूरे का कारक है क्योंकि वो खुद अधूरे हैं उनका सिर नहीं हैऔर बिल्ली का भी, इसलिए ये माना जाता है कि बिल्ली के रास्ता काट जाने से काम पूरा नहीं होगा। थोड़ी देर रुक कर उस समय को टाला जा सकता है।

2,सीढियों के नीचेसेनहींजानाचाहिए सीढ़ियों के कारक राहू है। केतू देव की तरह इसका भी यही परिणाम समझना चाहिए। इससे बचना चाहिए।

3, मंगलवार को नाखून और बाल नहीं काटने चाहिए इसका ज्योतिषी कारण ये है कि मंगल जीवन में लक्ष्य के और ऊर्जा कारक और शनि बालों के और कर्म के कारक होते हैं। एक सेनापति है और दूसरा सैनिक इन दोनों की युति अच्छा परिणाम देती है अधिकारी वर्ग की कुंडलियों में ये युति अक्सर मिलती है।

4, ब्रहस्पति बार को बाल नही धोने चाहिए ब्रहस्पति धन विद्या सन्तान विवाह और शरीर में पित्त के कारक हैं। शनि देव बालों के कारक हैं। बालों को धोना मतलब शनि देव को अच्छा करना जबकि गुरु ब्रहस्पति शनि देव की मकर राशि में नीच के हो जाते हैं ब्रहस्पति देव का कमजोर होने से उनके कारकों में भी कमी आती है। शुक्रवार को बाल धोना अच्छा होता है।

5, पुराने समय में स्त्रियों के सिर पर पल्लू और पुरूषों के सिर पर टोपी होती थी, इसका भी एक ज्योतिषीय आधार है वो ये कि शनि देव बालों के कारक हैँ और सुर्य उनके विरोधी ।शुक्र देव कपड़े के कारक हैं और दोनों के मित्र है।

6, नींबु और हारी मिर्च को व्यापार स्थान पर लटकाना व्यापारी लोग अपनी दुकानों पर नींबु और हरी मिर्च लटकाते हैं ।नींबु ब्रहस्पति देव और शुक्र देव का संयुक्त रूप है दोनों ही धन के कारक हैं और बुध देव व्यापार का कारक है। व्यापार में लाभ के लिए नींबु और हरी मिर्च लटकाने का रिवाज है।

7, शनिवार को लोहा सरसों का तेल आदि घर लेकर नहीं आते अपितु इनका दान किया जाता है क्यूंकि इन वस्तुओ के कारक शनि देव है शनि देव किसी काम में देरी के कारण है वो स्वम भी बहुत धीरे चलते हैं एक राशि में सबसे ज्यादा ढाई साल रहते हैं। केवल सिंह राशि या लगन वालों को ही ऐसा नहीं करना चाहिए।

मेरा उद्देश्य किसी अनैतिक बात का समर्थन करना नहीं है। नौ ग्रहों की ऊर्जाओं का संतुलन जीवन में बहुत जरूरी है। इसके लिए जीवन में कुछ अच्छे नियम होने चाहिए।

ऐसे बहुत सी बातें हैं जिनको आधुनिक युग में अंधविश्वास मान कर युवा पीढ़ी छोड़ रही है और परेशान हो रही है।इसका एक कारण ज्योतिषीय विद्या का दुरुपयोग कर मात्र धन कमाने का साधन बनाना है। इस धूर्तता और पाखंड से बचने का एक मात्र उपाय अपनी इस प्राचीन विद्या को सही प्रकार से समझना है जिससे जीवन में आने वाली परेशानियों से बचा जा सके और उद्देश्य पूर्ण जीवन जीया जा सके।

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