शिवलिंग पर जल और कच्चा दूध चढ़ाने की परंपरा

शिव हमारे अराध्य हैँ जिसपर हमारा ध्यान रखते हैं उसी प्रकार हमे भी अपने अराध्य का ध्यान रखना चाहिए। इन दिनों वैशाख मास चल रहा है, जो 5 मई तक रहेगा। इस महीने में शिवलिंग के ऊपर एक पानी से भरी मटकी बांधने की परंपरा है। इस मटकी से बूंद-बूंद पानी शिवलिंग पर गिरता रहता […]

बगलामुखी माता के प्राकट्य दिवस पर विशेष (28 अप्रैल)

जब जब विश्व पर कोई संकट आता है तब उसकी रक्षा करने के लिए माँ भगवती किसी न किसी शक्ति रूप में अवतरित होती हैं। चाहे वो असुरों का विनाश हो या भयंकर प्राकृतिक आपदा। बगलामुखी माता इसी प्रकार सतयुग की बात है। एक बार ब्रह्मांड में बहुत भयंकर तूफान उठा। वो इतना भयंकर था […]

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ओरछा:चतुर्भुज और राज मंदिर:दूसरी अयोध्या

ओरछा भारत के मध्यप्रदेश राज्य में जिला निवाड़ी में एक कस्बा है जो वेतवा नदी के किनारे बसा है। टीकमगढ से 80 किमी और झाँसी से 15 किमी दूर है। ओरछा की स्थापना 1531 में बुंदेला प्रमुख रुद्र प्रताप सिंह ने की थी जो ओरछा के पहले राजा थे। उन्होंने ही ओरछा का किला भी बनवाया। ओरछा किला ओरछा का […]

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राहु और केतु का प्रभाव

  राहु एवं केतू देव ज्योतिषशास्त्र भारतीय विद्या का अभिन्न अंग है। हमारे ऋषि-मुनियों ने अपनी तपस्या एवं साधना से इस शास्त्र की रचना मानव जाति के उद्धार के लिए करी। समय के साथ ये विधा उतनी उन्नत नहीं रहीं जितनी वैदिक काल में थी फिर भी हमारे जीवन को उन्नत बनाने के लिए पर्याप्त है। […]

अंधविश्वास या ज्योतिषीय आधार

न्यता या परंपरा प्रत्येक संस्कृति और धर्म का हिस्सा है जिसका पालन उस संस्कृति या धर्म के लोग करते हैं। मान्यता या परंपरा के शुरू होने के पीछे कोई न कोई कारण होता है वो कारण डर हो सकता है या लालच। हिन्दू धर्म में भी कुछ ऐसी मान्यताओं को अपशकुन या अंधविश्वास का नाम दे दिया गया है ये सृष्टि […]

शुभ फलदायी है ज्येष्ठ अमावस्या

ज्येष्ठ मास चल रहा है। हिन्दू पंचांग के अनुसार ये तीसरा माह है और ग्रीष्म ऋतु का दूसरा। ज्येष्ठ का अर्थ होता है बड़ा। ज्येष्ठ मास के मंगलवार भी बड़े मंगल कहलाते हैं ।इस माह की अमावस्या को बड अमावस कहते हैं,जोकि इस साल 19 मई 2023 दिन शुक्रवार को है। दिन बट वृक्ष के रूप में गुरु ब्रहस्पति देव की और शनि देव की पूजा करके शनि जयंती बनाई जाती […]

सनातन वैदिक ज्ञान

छ जरूरी वैदिक ज्ञान जो हर सनातनी को होनी चाहिए। त्रिदेव- ब्रह्मा विष्णु महेश। संस्कार – 16 है जो जातक के जन्म से लेकर मरणोपरांत तक किए जाते हैँ। पंचोपचार – गन्ध , पुष्प , धूप , दीप तथा नैवैध्य द्वारा पूजन करने को ‘पंचोपचार’ कहते हैं। पंचामृत – दूध ,दही , घृत, मधु { शहद ] तथा शक्कर […]

भाग्य का भूरा रंग

तिष में, रंग ग्रहों, नक्षत्रों की प्रकृति और मानव जीवन पर उनके प्रभाव को समझने और व्याख्या करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सभी रंगों में भूरे (brown) रंग का एक विशेष महत्व है क्योंकि यह राहू देव से जुड़ा है, जिसे सोच और अनुशाशन का ग्रह कहा जाता है। भूरे रंग में एक अनूठी ऊर्जा होती है,ये तीन रंगों के मिश्रण से […]

भगवान -शाब्दिक अर्थ

ष्टि का संचालन कोई अनदेखी शक्ति करती है जिसे अलग-अलग सम्प्रदाय, धर्म के लोग अलग-अलग नामो से पुकारते हैं। हिन्दू धर्म में इस शक्ति को भगवान कहते हैं। भगवान शब्द अर्थात् परमात्मा , गुणवान ,ब्रह्मन् ,ऐश्वर्यशाली । यह एक गुणवाचक शब्द है । भग् धातु से बना है । भग् का अर्थ है ऐश्र्वर्य । धर्म ग्रंथों के अनुसार वह सर्वोच्च […]